Total lunar eclipse: आसमान में दिखा ब्लड मून

पूर्ण चंद्रग्रहण (Total lunar eclipse) का अद्भुत नज़ारा, लाल रंग में नजर आया चाँद

Total lunar eclipse

Dehradun, 08 September: रविवार की रात खगोलीय घटना का दुर्लभ नज़ारा देखने को मिला। वैज्ञानिक दृष्टि से Total lunar eclipse और आम बोलचाल में ब्लड मून कहा जाता है। ग्रहण के दौरान चाँद लालिमा लिए हुए दिखाई दिया। खासबात यह कि करीब 100 साल बाद चंद्रग्रहण की अवधि सामान्य से कहीं अधिक थी। इतना ही नहीं, यह दृश्य केवल भारत ही नहीं बल्कि एशिया, यूरोप और अफ्रीका सहित दुनिया के कई हिस्सों में साफ-साफ देखा जा सका। दक्षिण अमेरिका और अंटार्कटिका के कई भागों से भी यह अद्भुत घटना नजर आई। देहरादून की बात करें तो यहां बारिश और बादलों के कारण ब्लड मून का दीदार फीका कर गया।

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देहरादून से ली गई तस्वीर

एक सदी बाद हुआ ऐसा

खगोलविदों का कहना है कि यह संयोग बेहद दुर्लभ रहा, क्योंकि करीब एक सदी बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण लगभग एक ही समय में घटित हो रहे हैं। यही वजह है कि यह चंद्रग्रहण न केवल वैज्ञानिकों बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद अहम माना गया है।

देहरादून में बारिश और बादलों ने फीका कि उत्साह

Dehradun Blood moon picture
देहरादून में कुछ ऐसा दिखा चंद्रमा

पूर्वी अफ़्रीका, यूरोप, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और भारत सहित एशिया के अधिकांश देशों में यह खगोलीय घटना शुरू से अंत तक स्पष्ट रूप से देखी जा सकी। देहरादून की बात करें तो शाम से जारी रही बारिश और आसमान में मंडराते बादलों ने खगोलीय घटना का रंग थोड़ा फीका ज़रूर किया, लेकिन इसके बाद भी स्थानीय लोगों के बीच ब्लड मून को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। रात से ही सोशल मीडिया पर ब्लड मून की तस्वीरें वायरल होना शुरू हो गई थी।

 

भारत के अधिकांश राज्यों में देखा गया पूर्ण चंद्र ग्रहण

  • उत्तर भारत: दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर और लखनऊ
  • दक्षिण भारत: चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोच्चि
  • पूर्वी भारत: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहाटी।
  • इसके अलावा मध्य भारत के भोपाल, नागपुर और रायपुर सहित कई अन्य शहरों में भी यह चंद्र ग्रहण दिखाई दिया।

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क्या होता है चंद्रग्रहण?

अक्सर लोग पूछते हैं कि आखिर चंद्रग्रहण होता कैसे है? दरअसल, चांद की अपनी रोशनी नहीं होती। वह चमकता हुआ इसलिए दिखता है क्योंकि सूर्य की किरणें उस पर पड़कर धरती तक परावर्तित होती हैं। जब सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढक लेती है। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। यह घटना तभी संभव होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षाओं में बिल्कुल सीधी रेखा में आ जाएं। खासतौर पर पूर्णिमा की रात जब चांद सामने होता है और पृथ्वी बीच में, तब उसकी छाया चांद पर पड़ती है। धरती से देखने पर उस समय चांद का एक हिस्सा अंधकारमय और काला दिखाई देता है। यही खगोलीय घटना चंद्रग्रहण कहलाती है।

इस लिए भी खास थी घटना

चंद्रग्रहण सिर्फ खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। एक ओर जहाँ वैज्ञानिक इसे आकाशीय घटना बताते हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक मान्यताओं में इसे साधना और आत्मचिंतन का समय माना जाता है।

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